फर्जी पासपोर्ट वाला सोहबत खान पकड़ाया, शादी भी असली-नकली में उलझी

सत्येन्द्र सिंह ठाकुर
सत्येन्द्र सिंह ठाकुर

मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) ने एक बड़ी कार्रवाई कर अफगानी नागरिक सोहबत खान को गिरफ्तार किया है। खान पिछले 10 सालों से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शहर के छोटी ओमती क्षेत्र में रह रहा था।

एक हफ्ते की निगरानी के बाद गिरफ्तारी

ATS को इनपुट मिला था कि कुछ अफगानी नागरिक जबलपुर में अवैध रूप से रह रहे हैं। इस पर एक हफ्ते तक सोहबत खान पर नजर रखी गई। शुक्रवार को रेड मारकर उसे पकड़ा गया। वह न केवल नौकरी कर रहा था, बल्कि स्थानीय महिला से विवाह भी कर चुका था।

फर्जी दस्तावेज और भारतीय पहचान

जांच में खुलासा हुआ है कि सोहबत खान ने फर्जी दस्तावेजों से भारतीय पासपोर्ट भी बनवा लिया था। इतना ही नहीं, वह अपने अन्य अफगानी साथियों के लिए भी जबलपुर के पते का इस्तेमाल कर पासपोर्ट बनवाने की कोशिश कर रहा था।

राज्य प्रभावित: मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़

दो और गिरफ्तार: पूरा रैकेट बेनकाब करने की तैयारी

ATS ने इस मामले में दो अन्य आरोपियों दिनेश गर्ग और महेंद्र कुमार को भी गिरफ्तार किया है। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने खान के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेजों की व्यवस्था और पासपोर्ट रैकेट को ऑपरेट किया।

20 से ज्यादा अफगानी युवकों की पहचान

अब तक की जांच में पता चला है कि लगभग 20 अन्य अफगानी युवकों के लिए भी इसी तरीके से पासपोर्ट बनवाने की तैयारी थी। ATS पूरे नेटवर्क की परतें उधेड़ने में जुटी है।

क्या है अब अगला कदम?

  • फॉरेंसिक जांच से दस्तावेजों की वैधता की पुष्टि की जाएगी

  • विदेशी नागरिकों की सूची तैयार की जा रही है

  • राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को रिपोर्ट भेजी गई है

राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा या लापरवाही?

इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं:

  • क्या लोकल स्तर पर फर्जी दस्तावेज इतनी आसानी से बन रहे हैं?

  • क्या विदेशी नागरिक सालों तक अवैध रूप से यहां रह सकते हैं बिना पकड़े गए?

  • क्या लोकल एजेंट और अधिकारी भी इस नेटवर्क में शामिल हैं?

पहचान पर सवाल, सुरक्षा पर चिंता

सोहबत खान की गिरफ्तारी केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की कमज़ोरियों को उजागर करती है। जब एक विदेशी नागरिक भारतीय पहचान, नौकरी और विवाह के साथ आराम से वर्षों रह सकता है, तो सोचिए, ये नेटवर्क और कितना गहरा हो सकता है?

ATS की कार्रवाई काबिल-ए-तारीफ है, लेकिन अब वक्त है कि स्थानीय दस्तावेज़ सत्यापन और पासपोर्ट सिस्टम की जांच गहराई से की जाए।

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